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खुशहाल और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान : पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में देश की नई शिक्षा नीति का जिक्र किया। उन्होंने खुशहाल भारत, आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। प्रधानमंत्री ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में, आधुनिक भारत के निर्माण में, नए भारत के निर्माण में, समृद्ध और खुशहाल भारत के निर्माण में, देश की शिक्षा का बहुत बड़ा महत्व है। इसी सोच के साथ देश को एक नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मिली है।”

प्रधानमंत्री द्वारा 15 अगस्त के संबोधन में नई शिक्षा नीति का जिक्र किए जाने पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, हम आपकी आशाओं के अनुरूप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत एवं नवभारत के निर्माण के लिए कृतसंकल्पित हैं।”

नई शिक्षा नीति 29 जुलाई को जारी की गई है। केंद्रीय कैबिनेट ने देश की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी है। इससे पहले शिक्षा नीति वर्ष 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था। डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए गठित समिति द्वारा तैयार किए गए एनईपी 2019, और उस पर प्राप्त हितधारकों की प्रतिक्रियाओं एवं सुझावों के आधार पर इसे तैयार किया गया है।

नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी, 2015 में शुरू की गई थी। 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए। लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी, बॉटम-अप परामर्श प्रक्रिया की गई।

नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर, 2015 को सरकार ने टी.एस.आर. सुब्रहमण्यन, भारत सरकार के पूर्व मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट 27 मई, 2016 को प्रस्तुत की थी।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत स्कूली छात्रों को चार विभिन्न वर्गो में बांटा गया है। पहले वर्ग में 3 से 6 वर्ष वर्ष की आयु के छात्र होंगे, जिन्हें प्री-प्राइमरी या प्ले स्कूल से लेकर कक्षा दो तक की शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद कक्षा 2 से 5 तक के पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। उसके बाद कक्षा 5 से 8 और फिर अंत में 4 वर्षो के लिए 9 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को ध्यान में रखते हुए शैक्षणिक कार्यक्रम बनाया गया है।

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